- संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद और प्रो. शिवजतन ठाकुर ने भाग लिया
संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, शरीर नहीं रहता लेकिन विचार नहीं मरते। आज हम डॉ. अंबेडकर की जयंती मना रहे हैं इसलिए जरूरी है कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि अंबेडकर के विचार शाश्वत हैं, उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता, आज हम खुद चुनौती हैं। अंबेडकर जी के जीवन में संघर्ष जरूर था लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से शिक्षा हासिल की और अपनी मेहनत से देश के कानून मंत्री और भारतीय संविधान के निर्माता बने। प्रो. शिवजतन ठाकुर ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि अंबेडकर ने संविधान में राजनीतिक समानता, आर्थिक समानता और सामाजिक समानता की परिकल्पना की थी, लेकिन संविधान के लागू होने के वर्षों बाद भी हमारे संविधान निर्माताओं का समाज नहीं बना है। इसके साथ ही पार्टी अध्यक्ष मनोज भारती, पूर्व विधान परिषद सदस्य रामबली चंद्रवंशी, वरीय अधिवक्ता व पार्टी उपाध्यक्ष वाई.वी. गिरी आदि ने भी संगोष्ठी में अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन व मंच संचालन अनिल आर्य ने किया।
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