- लगातार आठ घंटे चले भव्य भंडारे में पांच क्विंटल आटे की पूडी, दो क्विंटल खीर और एक क्विंटल नुक्ती का किया गया वितरण
- देर रात्रि को महानिशा की आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला संस्कार मंच के संयोजक मनोज दीक्षित मामा ने बताया कि मरीह माता मंदिर में नौ दिवसिया माता की पूजा अर्चना की जाती है। यहां पर रविवार की रात्रि को महागौरी की पूजा और महानिशा आरती का आयोजन किया गया था। वहीं सोमवार को मां भगवती की 9वीं शक्ति मां सिद्धिदात्री देवी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की ऐसा विश्वास है कि इनकी पूजा पूरे विधि विधान के साथ करने वाले उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। नवरात्रि का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया, इस मौके पर सुबह पांच बजे से ही यहां पर भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो देर रात्रि तक जारी रहा। नवरात्रि के अंतिम दिन यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं के द्वारा मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई और सुबह दस बजे यहां पर लगातार आठ घंटे तक चले इस भव्य भंडारे में शहर सहित आस-पास से आए करीब सात हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। अब मंगलवार को देवी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। व्यवस्थापक रोहित मेवाड़ा ने बताया कि मरीह माता मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है, मंदिर परिसर में हर नवरात्रि पर पूजा अर्चना की जाती है। उन्होंने बताया कि साल में चार नवरात्रि पर कन्याओं की पूजन की जाती है और भंडारे का आयोजन दो नवरात्रि चैत्र और शरदीय पर होता है। करीब 150 साल से यहां पर पूजा अर्चना का क्रम जारी है। चैत्र नवरात्रि को पूरे नौ दिन हवन, यज्ञ और कन्या पूजन, भोज और अंतिम दिन भंडारे का आयोजन किया गया।
मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि से युक्त हैं
नवमी के दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। नवमी पर नवरात्रि का समापन होता है, मां सिद्धिदात्री अष्ट सिद्धि से युक्त हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के आखिरी दिन दुर्गा नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने वालों समस्त सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त होता है, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। गंधर्व, किन्नर, नाग, यक्ष, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। इस दिन माता की पूजा के बाद हवन, कन्या पूजन किया जाता है और फिर नवरात्रि व्रत का पारण करते हैं। मां भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। उनको मां दुर्गा की 9 वीं शक्ति माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी पूरी विधि से उनकी साधना करता है उसे पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की क्षमता आ जाती है। देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं।
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