इसके पूर्व मामला उजागर होने पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निलंबित कर दिया और मामले की आगे जांच जारी है। लेकिन अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी ने मामले को बड़े पैमाने पर उठाया है। विपक्ष के नेता अशोक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दावा किया कि कई छात्रों को परीक्षा के दौरान धार्मिक प्रतीकों-पवित्र धागे (जनेऊ) को हटाने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने कहा कि "23 अप्रैल को, मैंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कर्नाटक सरकार द्वारा व्यक्तिगत पवित्र मान्यताओं के उल्लंघन की घटनाओं के बारे में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें छात्रों को राज्य भर के कई केंद्रों पर कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) परीक्षा के दौरान अपने धार्मिक प्रतीकों जैसे जनेऊ (यज्ञोपवीत), आदि को हटाने के लिए मजबूर किया गया था। भाजपा नेता ने आयोग से तत्काल और उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है I राज्य में भाजपा सरकार के कार्यकाल में मंत्री रह चुके आर.अशोक ने आयोग से अपील की है कि वह नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं के अधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए त्वरित और उचित कार्रवाई करे, जिससे उनका भविष्य इस तरह की गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण क्रियाकलापों से खतरे में नहीं पड़े। सुचिव्रत कुलकर्णी नाम के एक छात्र ने आरोप लगाया कि 17 अप्रैल को बीदर के साई स्पूर्ति पीयू कॉलेज में कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट परीक्षा केंद्र में उसे प्रवेश देने से इनकार कर दिया गया था क्योंकि उसने "पवित्र धागा" (जनेऊ) पहना हुआ था I शिवमोग्गा के उपायुक्त गुरुदत्त हेगड़े ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
बैंगलोर, 26 अप्रैल, (विजय सिंह)। कर्नाटक में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में भाग लेने पहुंचे ब्राह्मण छात्रों के साथ कथित जाति आधारित भेदभाव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाया है I सीईटी परीक्षा में शामिल होने वाले दो छात्रों को कथित रूप से उनके जनेऊ को उतारने के लिए मजबूर करने के मामले में पहले ही सीईटी प्रशासन की काफी किरकिरी हो चुकी है। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने कहा है कि उन्होंने मानवाधिकार आयोग में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सीईटी के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ था और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

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