दिल्ली : प्रो. निर्मला जैन के निधन पर हुआ शोक सभा का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

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दिल्ली : प्रो. निर्मला जैन के निधन पर हुआ शोक सभा का आयोजन

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दिल्ली (रजनीश के झा)। हिंदी साहित्य की वरिष्ठ आलोचक प्रो. निर्मला जैन का आज, 15 अप्रैल 2025, दिन मंगलवार की सुबह 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए एक शोकसभा का आयोजन किया गया। हिंदी विभाग की वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष प्रो. सुधा सिंह ने उनके निधन को हिंदी विभाग की क्षति के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि प्रो. निर्मला जैन हिंदी साहित्य की सशक्त आलोचक होने के साथ-साथ एक लोकप्रिय अध्यापिका भी थीं। हिंदी आलोचना की जीवनधर्मी परंपरा में निर्मला जैन प्रमुख हस्ताक्षर रहीं हैं। पाश्चात्य एवं भारतीय काव्यशास्त्र पर उनका गहन अध्ययन था। हिंदी आलोचना के क्षेत्र में उन्होंने विशिष्ठ उपस्थिति दर्ज की। विचारधाराओं के आग्रहों की बजाए मानवतावादी दृष्टि का चुनाव उनके आलोचना कर्म की महत्वपूर्ण विशेषता रही। उनका अध्यापकीय जीवन लगभग चार दशकों (सन् 1956 से 1996) का रहा । इस दौरान वे 4 अगस्त 1981 से 3 अगस्त 1984 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्ष भी रहीं और अनेक वर्षों तक विश्वविद्यालय के ही दक्षिणी परिसर की प्रभारी प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी। उनकी आत्मकथा ‘ज़माने में हम’ बहुत चर्चित हुई। साथ ही ‘हिंदी आलोचना का दूसरा पाठ’, ‘पाश्चात्य साहित्य चिंतन’, ‘दिल्ली : शहर-दर-शहर’, ‘आधुनिक हिंदी काव्य में रूप-विधाएं’ जैसी अनेक मौलिक ग्रंथों की रचना के साथ उन्होंने कई ग्रंथों का अनुवाद एवं संपादन भी किया। अपनी जीवन यात्रा में उन्होंने अनेक पुरस्कार एवं सम्मान भी अर्जित किए, जिनमें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार’, ‘तुलसी पुरस्कार’, ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) का ‘सुब्रमण्यम भारती सम्मान’, हिंदी अकादमी का ‘साहित्यकार सम्मान’, साहित्य अकादमी का ‘अनुवाद पुरस्कार’ आदि महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता है और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना प्रेषित करता है। इस शोक सभा में हिंदी विभाग के प्राध्यापकों में प्रो. कुसुमलता मलिक, प्रो. अल्पना मिश्र, डॉ. महात्मा पांडेय, डॉ. सुमन विश्वकर्मा, डॉ. दीपक जायसवाल, डॉ. सुनील कुमार वर्मा, डॉ. गोपेश्वर दत्त पांडेय, डॉ. अजीत कुमार पुरी, डॉ. ऋषिकेश सिंह, डॉ. शंभुनाथ मिश्र, डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. राजीव रंजन गिरि समेत अन्य प्राध्यापक, सभी कर्मचारी एवं विद्यार्थी-शोधार्थी उपस्थित रहे। 

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