प्राथमिक शिक्षकों के नेता भोला पासवान के अनुसार " हमें अम्बेडकर के साहित्य से वाकिफ होना चाहिए ताकि लोग उससे प्रेरणा मिल सके. भगत सिँह से लोग प्रेरणा न ले सकें इस कारण उनके भी साहित्य को छुपाया जा रहा हैं. हमें दलित बस्तियों में जाकर काम करना चाहिए. आज समाज के तोड़क लोग अधिक सक्रिय हो गए हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य अब गरीब लोगों से दूर चला गया है. पढ़ाई और दवाई दोनों के लिए पैसा लग रहा है. अम्बेडकर को जब प्यास लगता था तो छुआछूत का व्यवहार किया करते थे. आज भी जाति सूचक बात बोली जाती है. " पटना साईंस कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक शोवन चक्रवर्ती के अनुसार " संविधान के मुलभूत ढांचे को गिराने की कोशिश की जा रही है. आज संविधान बनाम भगवान की लड़ाई बताया जा रहा है. 2014 के पहले ऐसा नहीं सुना जाता था कि जो भगवान जो मानता है वह संविधान को नहीं मानता है. कम्युनिस्टों को तो कहा जा रहा है कि ये लोग तो ये न भगवान और संविधान को नहीं मानते हैं. जबकि कम्युनिस्ट लोग तो तीन राज्यों में सरकार में रहे हैँ पर आज तक कभी भी भगवान को मानने वालों को रोका नहीं गया है. बाबा साहेब की किताब 'जातिभेद का विनाश' आज मेरे हाथ में है. इस किताब में आम्बेडकर ने कहा है हिन्दू धर्म के भयावह चैंबर है. आज आर्थिक असुरक्षा का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि स्थिति गर्त में चली गई है. मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा रहा है. आम्बेडकर के अनुसार स्वराज के लिए लड़ाई बाहर के दुश्मनों के साथ अंदर के दुश्मन से भी लड़ना है. " अधिवक्ता उदय प्रताप सिँह ने अपने सम्बोधन में कहा " जब अम्बेडकर का संविधान पढ़िए तो वह आम आदमी के लिए निर्देशित है. जो सामान्य नागरिक हैँ उनका अलग क्लास बन गया है साथ ही जो ऊपर के लोगों का समूह बन गया है. अम्बेडकर ने जो नागरिक अधिकार प्रदान किया है वह बड़ी बात है. "
पटना विश्व विद्यालय में लोक प्रशासन के प्राध्यापक सुधीर कुमार ने कहा " अम्बेडकर के अंदर न्यायपूर्ण समाज की स्थापना का लक्ष्य था. देश के संसाधनों पर सभी लोगों का अधिकार है. अम्बेडकर ने समावेशी समाज की बात की. आज संविधान को खतरा आज हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों से है. आज न्यायालय में मुट्ठी भर परिवारों का दबदबा है. आज संघीय ढांचे पर हमला ही रहा है. हमें जाति के अंदर की वर्गीय लड़ाई को तेज़ करना होगा साथ ही हमें जाति आधारित जनगणना को समर्थन करना चाहिए. समाज के हाशिये के लोगों के लिए काम करना होगा. " सामाजिक कार्यकर्ता प्रीति सिँह ने बताया " बाबा साहेब को बत्तीस डिग्री हासिल थी साथ ही कई भाषाओं का ज्ञान था. बाबा साहेब के आंदोलन से दलित समाज के जो लोग आगे बढे लेकिन फिर अपने लोगों से कट जाते हैँ. आज ऐसी परिस्थिति हो गई है कि गरीबों को शिक्षा हासिल नहीं हो सके. आज राणा सांगा के बहाने एक दूसरी जातियों को लड़ाने की कोशिश की जाती है. जब तक शिक्षा और कानून की जानकारी नहीं होगी हम लड़ाई आगे नहीं बढ़ा सकते. " कम्युनिस्ट नेता मोहन प्रसाद सिँह ने बताया " आज जिन्हें पिछड़ा कहा जाता है वे शूद्र थे. संविधान सिर्फ कह देने से नहीं होगा उसे लागू करना होगा. अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था नहीं हो रही है. गरीब लोगों को पढ़ाने की व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है. जनता परिवार का पेट कैसे चलेगा उसे लेकर परेशान है." सभा को रंगकर्मी आनंद प्रवीण, सामाजिक कार्यकर्ता देवरतन प्रसाद और मंगल पासवान ने भी ने सम्बोधित किया. कार्यक्रम में मौजूद लोगों में प्रमुख थे मनोज, आनंद शर्मा, प्रिंस राज पासवान, अनिल रज़क, प्रीति सिँह, अविनाश, उदयन राय, मंगल पासवान, आनंद प्रवीण, सुजीत कुमार, विपिन आदि प्रमुख हैँ.
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