- मां विन्ध्यवासिनि धाम व शैलपुत्री सहित देवी मंदिरों में लगी भक्तों की कतार, हुए अनुष्ठान
- घट स्थापना के साथ ही सूर्य को अर्घ्य देकर हिन्दू नव वर्ष का हर किसी ने किया स्वागत
मां विंध्यवासिनी धाम में 5 लाख भक्तों ने टेका मत्था
नवरात्र की शुरूआत के साथ ही विंध्य कारीडोर में भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला। भक्तों ने माता के दर्शन कर जयकारे लगाए। पहले दिन लगभग पांच लाख से अधिक भक्तों ने मां के दर्शन पूजन किए। मंदिर में भक्तों के आगमन के लिए चार द्वार बनाए गए हैं। भक्तों को कतारबद्ध करने के लिए स्थाई रेलिंग लगाई गई है। परिसर में सुरक्षा के लिहाज से 250 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। चारों द्वार पर राजस्थानी कारीगरों ने नक्काशी की है। मंदिर को गुलाबी पत्थरों से सजाया गया है और मंदिर का परिक्रमा मार्ग बनकर तैयार है। मंदिर परकोटा में यज्ञशाला, वीआईपी रूम, क्लाक रूम और कंट्रोल रूम के साथ साधना केंद्र बनाया गया है। तमाम व्यवस्थाएं देख भक्त जय माता दी का उद्घोष कर रहे हैं। बता दें, मां विन्ध्यवासिनि दरबार श्रद्धालुओं से पटा है। माता के जयकारे से विंध्य धाम की समस्त गलियां गूंजती रही। चैत्र नवरात्र मेला के शुरू होते ही संपूर्ण विंध्याचल की छटा देखते ही बन रही है। मंगला आरती के बाद से ही दर्शन पूजन के लिए भक्तों का रेला लगा है। मंदिर परिसर में घंट-घड़ियाल के बीच मां के जयकारे गूंज रहे हैं। शनिवार की रात से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लग गई थी। रविवार की भोर में मंगला आरती के बाद दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ जो अनवरत जारी है। गंगा स्नान, ध्यान के पश्चात हाथों में नारियल, चुनरी व माता का प्रसाद लिए मंदिर की ओर जाने वाली गलियों में पहाड़ा वाली के जयकारे लगाते श्रद्धालु मंगला आरती के बाद मां विंध्यवासिनी के भव्य स्वरूप के दर्शन के लिए बेताब दिखे। मंदिर परिसर एवं परिक्रमा पथ प्रांगण एक अलग ही छटा बिखेर रही है अलौकिक सजावट विंध्याचल दरबार के साथ ही मां अष्टभुजी देवी व महाकाली मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों की फूल, पत्तियों और रंग-बिरंगे झालरों से की गई सजावट अलौकिक छटा बिखेर रही है। सुरक्षा के खास इंतजाम मुख्य सड़कों, गलियों, गंगा घाटों और अष्टभुजा के पहाड़ पर दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो, इसको लेकर जिला प्रशासन सतर्क है। ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। एटीएस बल के साथ-साथ पुलिस के जवान सुरक्षा में तैनात हैं।उगते सूरज संग काशी ने दुनिया को दिया वसुधैव कुटुंबकम का संदेश
भगवान सूर्य के उदित होते ही नव संवत्सर के स्वागत में गंगोत्री सेवा समिति और नमामि गंगे ने पतितपावनी मां गंगा की आरती उतारी। दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम के मर्म को समझने का संदेश देकर पौ फटते ही विश्वभर को ऊर्जा का आभास कराने वाले सूरज देव को दूध से अर्ध्य दिया। मां गंगा के अर्चकों के साथ सदानीरा सुरसरि के तट पर मानव कल्याण की शांति और पर्यावरण संरक्षण के लिए यज्ञ किया गया। सभी के लिए स्वस्थ रहने और सुखी रहने के साथ समृद्धि प्राप्त करने की कामना की गई। गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ने नव संवत्सर पर जनमानस को बधाई दी। सचिव पं. दिनेश शंकर दुबे ने कहा कि भारतीय नव संवत्सर की शुरुआत गंगा आरती के साथ करना एक शुभ और आध्यात्मिक अनुभव है जो आपको सनातनी वर्ष की शुरुआत मे सकारात्मकता और शांति प्रदान करता है। गंगा आरती मां गंगा की शक्ति और पवित्रता के लिए एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है। राजेश शुक्ला ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संस्कृति का अमृत गान है। नव संवत्सर हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक थाती से परिचित कराने और उसे सहेजने का भी अवसर देता है। नव संवत्सर सृष्टि का स्पंदन है। भारतीय अलौकिक संस्कृति का नूतन वर्ष कल्याणकारी हो इसके लिए हमने प्रार्थना की है। आयोजन में प्रमुख रूप से गंगोत्री सेवा समिति के सचिव पं. दिनेश शंकर दुबे, नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर राजेश शुक्ला, मयंक दुबे, गंगा आरती अर्चक व बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल रहे।
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